

पौष्टिक खाने की चाह में कई बार हम खाने से संबधित धारणाओं में आकर उन खाद्य पदार्थ को अनदेखा कर देते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहतर होते है क्योकिं इनके बारे में हमारे मन में गलत धारणा बनी हुई है।
हर बार जब मैं अपना पसंदीदा डोनट खाता हूँ तो आत्मग्लानि महसूस करने लगता हूँ क्योंकि यह जानने के बावजूद की यह स्वास्थ्य कि लिए कितना हानिकारक है और इसमें कितनी अधिक कैलोरी है ज्यादातर समय सेहत से समझौता कर मैं बहुत अधिक खा लेता हूँ। यहां मेरी धारणा यह है कि डोनट और कोई भी बेकरी आईटम जिसे मैं पसंद करता हूँ वह अस्वास्थकर है पर हमारी हर खाने की वस्तु या हर खाने की आदत के साथ ऐसा नहीं है।
कुछ खान-पान ऐसे होते हैं जो असल में स्वास्थकर होते हैं लेकिन उन पर लंबे समय से चली आ रही गलत धारणा की वजह से अस्वास्थकर खाने का लेबल लगा दिया गया है। उसी प्रकार कुछ भोज्य पदार्थ ऐसे हैं जिन्हें अच्छा खाना तो माना जाता है लेकिन असल में वे सेहत को फायदा पंहुचाने की बजाय नुकसान पहुंचाते हैं।
इसलिए, सच्चाई जानने की प्रक्रिया में हम तथाकथित स्वास्थकर भोजन की असलियत जानेंगे, हम थोड़ा अधिक शोध करेंगे ताकि इन भोज्य पदार्थों के दावों की सच्चाई सामने ला सके।
मिथ 1: ज्यादा चीनी लेना सेहत के लिए नुकसान दायक
हम सब ने इसे लाखों बार सुना है ज्यादा चीनी लेना सेहत के लिए नुकसानदायक है लेकिन यह आधा सच है। चीनी तभी नुकसान करती है जब यह अपने साथ केवल कैलोरी लाए और कोई तत्व नहीं।
चीनी भारतीय रसोई में दैनिक कार्यों के लिए उपयोग होने वाली सबसे जरूरी समाग्री है। यही नहीं आप टेंडर केक और क्रिस्प कुकीज़ बिना चीनी के नहीं बना सकते। यहां तक की प्राकृतिक मिठे खाद्य समाग्री जैसे- मधु भी कहीं न कहीं खाने योग्य बनाने के तरीके में सामान्य चीनी की तरह ही हमारे शरीर पर कार्य करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि चीनी उन खानों के स्वाद को संतुलित करती है जिनका खुद का स्वाद बहुत अधिक अच्छा नहीं होता है। इसलिए चीनी को खाने की लिस्ट से हटाना असंभव सा ही है और दूसरी बात इसे हटाने से कोई फायदा भी नहीं होगा क्योंकि विशेषज्ञयों की सलाह है कि पूरी कैलोरी जिसका सेवन हम करते हैं उसका 10 प्रतिशत चीनी होना चाहिए। इसका अभिप्राय यह हुआ कि अगर आप दिन में 2000 कैलोरी लेते हैं तब आपको एक दिन में 200 चीनी की कैलोरी लेनी चाहिए।
मिथ 2: लो फैट फूड सेहत के लिए अच्छा होता है
हमें प्राय: जहां तक हो सके लो फैट फूड खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि हम फैट को हृदय का दुश्मन मानते है। पिछले कुछ दशक में पूरा खाद्य पदार्थ उद्योग लो फैट फूड आईटम के ईर्द गिर्द घूम कर रह गया है। हम सबको पता है कि अच्छे से बने हैमबर्गर जिसके जूसेस अच्छी तरह पके हो तो स्वादिष्ट लगते हैं और इसके फैट भी काफी अच्छे लगते हैं लेकिन जब आप इस से फैट हटा लें तो इसका स्वाद कम हो जाएगा।
इसलिए सभी फूड कंपनी जो लो फैट फूड समाग्री बनाते है वे अपने प्रोडकट में फैट की कमी को पूरा करने के लिए दूसरे पदार्थ मिलाते हैं ताकि इसमें स्वाद का स्तर बना रहे। क्या आपको पता है कि इन उत्पादों में स्वाद को बढ़ाने के लिए कैसे चीनी या हानिकारक आर्टीफिशियल सुगर का इस्तेमाल किया जाता है? इसलिए ऐसे उत्पादक पर लो फैट का लेबल लगा होता है लेकिन यह फिर भी आपको मोटा कर सकता है क्योंकि वे इसमें चीनी मिलाते हैं जो कि ओबेसिटी और डायबिटिज़ से संबधित है।
निश्चित रूप से आपका लक्ष्य यह नहीं होता होगा जब आप लो फूड आईटम खरीदते हैं, ऐसा ही है ना? सभी कृत्रिम मीठा बनाने वाले तत्व जो इस तरह के फूड में इस्तेमाल किए जाते हैं वे कई बीमारियां जैसे मेटाबॉलिक सिंड्रोम, डिप्रेशन, हृदय रोग, प्री-मैचयोर बच्चे का जन्म और अन्य के कारक होते हैं। इसलिए जब भी आप लो फूड उत्पाद खरीद रहें हों तो उसका लेबल जरूर चेक कर लें।
मिथ 3: अंडे खाने से कोलेस्टेरोल का बढ़ना
यहां हम इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि अंडे में भारी मात्रा में फैट और कोलेस्टेरोल मौजूद होते हैं लेकिन यह कोई कारण नहीं हो सकता जिसकी वजह से अंडे को बैड फूड का लेबल दे दीया जाए। यह बात कई बार साबित हो चुकी है कि अंडे में मौजूद कोलेस्टेरोल दरअसल शरीर के अंदर ब्लडस्ट्रीम में अच्छे एचडीएल कोलेस्टेरोल को बढ़ाता है।
आपके शरीर के कोलेस्टोरोल लेवल कुछ विशेष तरह के सैच्युरेटेड और ट्रांस फैट से प्रभावित होते हैं। अंडे में बहुत कम सैच्युरेटेड फैट होता हैं। उदाहरण के लिए: एक बड़े अंडे में 1.5 ग्राम सैच्युरेटेड फैट होता है जोकि अंडे बनाते वक्त इस्तेमाल किये गये मखन से गई गुना कम होता है। इसलिए नाशते में से अंडे को कम करने से अच्छा है अंडा बनाने में लगने वाले मक्खन या तेल की मात्रा कम कर दें।
जबकि दूसरी तरफ अंडा 13 विटामिन्स का बेहतरीन श्रोत है। इसमें रिच प्रोटीन के साथ-साथ मिनरल्स भी होते हैं जो आपके पेट को लंबे समय तक भरा रखता है।
मिथ 4: संपूर्ण अनाज सभी के लिए श्रेयकर होता है
सफेद आटा और सफेद रोटी की लंबे समय से उपेक्षा की गयी है क्योंकि इसमें पौष्टिकता और फाइबर तत्व की कमी होती है। जबकि होल ग्रेन ब्रेड की हमेशा से प्रशंसा होती रही है क्योंकि इसमें पाये जाने वाले तत्व व्हाईट ब्रेड में नहीं पाये जाते हैं।
हालंकि, अनाज का परिचय मनुष्य को उनके इवॉल्व के काफी समय बाद हुआ। इतिहास के अनुसार, कृषि क्रांत की शुरूआत 10,000 ईसापूर्व में हुआ था और उससे पहले मनुष्य ग्रेन्स को ऐसे ही खाते थें। आज भी हमारे पाचन सिस्टम को कुछ अनाजों और दूसरे प्रकार के अन्न को पचाने में परेशानी होती है। अनाजों में दूसरे पौष्टिक भोज्य पदार्थ जैसे फल, सब्जियां और मांस की तुलना में पौष्टिक तत्व कम पाये जाते हैं। फिर भी अनाज फिटिक एसिड के अच्छे श्रोत हैं जो शरीर में मिनरल की मात्रा को बनाए रखता है।
गेहूं सबसे प्रसिद्ध अनाज है जिसका देश के लोग उपभोग करते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि गेहूँ में एक तत्व, जो ग्लूटेन के नाम से जाना जाता है, पाया जाता है जो आपकी ब्रेड और रोटी को मुलायम बनाए रखता है। बहुत सारे लोग सेलियक रोग से ग्रसित है जो एक प्रकार की ग्लूटेन सेंसिटीविटी है, यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली और छोटी आंत को हानि पहुंचाता है। यहां तक की लोग ग्लूटेन सेंसिटीविटी से ग्रसीत होते हैं जबकि उन्हे सेलियाक रोग नहीं होता, इस स्थिति में व्यक्ति को सूजन, पेट दर्द और आंतों की क्षति जैसी समस्याएं हो सकती है।