महिलाओं द्वारा मासिक धर्म में अब मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल करने की ओर रुझान देखा जा रहा हैं। लेकिन अभी भी बहुत से लोगों में मेंस्ट्रुअल कप को लेकर गलत जानकारी होने की वजह से मिथक सामने आये हैं। इन मिथकों पर भरोसा करना गलत हैं।
आमतौर पर मेंस्ट्रुअल कप का उपयोग करना सुरक्षित हैं, लेकिन सही जानकारी के अभाव में लोगों को संदेह होता हैं, जिस कारण कम महिलाओं द्वारा ही अभी इसका इस्तेमाल किया जाता हैं। इन मिथकों को दूर करना आवश्यक हैं, तो जानते हैं उन मिथकों के बारे में।
मेंस्ट्रुअल कप के मिथक
नीचे दिए गए 11 मेंस्ट्रुअल कप से जुड़े मिथकों पे ध्यान दें –
मिथक 1: सभी के लिए एक जैसा आकार फिट
यह बिल्कुल गलत हैं क्योंकि एक ही आकार सभी के लिए फिट नहीं होता। कप का आकार महिलाओं की उम्र, उनका प्रवाह, प्रजनन इतिहास क्या रहा हैं इस बात पर निर्भर करता हैं। छोटे और बड़े दोनों ही तरह के मासिक धर्म कप उपलब्ध होते हैं।
मिथक 2: कप लगाकर सो नहीं सकते
पीरियड कप लगाने के बाद आप सो भी सकते हैं और अन्य गतिविधि भी कर सकते हैं जैसे : चलना, दौड़ना या अन्य कार्य जो आप चाहते हैं, लेकिन इस बात का ध्यान रखे की हर ८ घंटे में कप को निकालकर धो लें। जिसके बाद आप इसे फिर से इस्तेमाल कर सकते हैं।
मिथक 3: प्लास्टिक मुक्त सभी कप
ऐसा नहीं हैं अगर आप सोचते हैं की सभी मासिक धर्म कप प्लास्टिक मुक्त हैं तो यह सोचना गलत हैं। क्योंकि बाजार में मिलने वाले बहुत से मेंस्ट्रुअल कप थर्मसप्लास्टिक इलास्टोमेर (एक तरह का प्लास्टिक) से बनाये जाते हैं।
मिथक 4: यूरिन या स्टूल पास करने में परेशानी
पेशाब करने में मासिक धर्म कप की वजह से कोई परेशानी नहीं आती हैं। जब भी आप पेशाब या मल त्याग करने जाये तो मासिक धर्म कप को हटाना जरुरी नहीं होता हैं।
मिथक 5: कौमार्य को प्रभावित करता हैं
एक और मिथक यह हैं की कुंवारी लड़कियों को इस कप का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे कौमार्य पर असर पड़ता हैं। हाइमन को बनाये रखने से कौमार्य को जोड़ा जाता हैं। लेकिन हाइमन से इसका कोई संबंध नहीं हैं। सच तो यह हैं की ‘कौमार्य’ को इस बात से परिभाषित किया जाता हैं की आपने संभोग किया हैं या नहीं। हाइमन तो कभी भी किसी भी गतिविधियों में जैसे: दौड़ना, साइकिल चलाना, व्यायाम करना, खेलकूद आदि से फट सकता हैं।
मिथक 6: हर साल कप बदले
इस मिथक में सामने आया हैं की मेंस्ट्रुअल कप को प्रत्येक वर्ष बदलना चाहिए, लेकिन कप तो पुनः प्रयोग किया जा सकता हैं। इसकी उचित सफाई जरुरी हैं। सही देखभाल और अच्छी गुणवत्ता वाला कप वर्षों तक प्रयोग किया जा सकता हैं। यह व्यक्ति पर भी निर्भर करता हैं की आप कप को कितनी बार बदलते हैं अगर आप कप की अच्छे से सफाई करते हैं तो लम्बे समय तक इसका उपयोग किया जा सकता हैं।
मिथक 7: योनि स्वास्थ्य के लिए खतरनाक
लोगों द्वारा ऐसा माना जाता हैं की यह योनि के स्वास्थ्य में दखल देता हैं लेकिन इसके उपयोग से योनि में किसी भी तरह की जलन या रैशेज नहीं होते हैं, बल्कि यह तो योनि म्यूकोसा के अंदर नमी को बरकरार रखता हैं।
मिथक 8: मेंस्ट्रुअल कप एक नया आविष्कार
यह सोचना गलत हैं की मासिक धर्म कप एक नया आविष्कार हैं। सबसे पहले १९३७ में रबर से बने मासिक धर्म कप का आविष्कार लियोना चाल्मर्स ने किया था। यह एक अमेरिकी महिला थी। द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ते ही रबर की कमी होने लग गई थी और कप का उत्पादन बंद होने लग गया था। उस समय कप को साफ़ करके दुबारा इस्तेमाल करने के लिए भी लोग अनिच्छुक थे।
मिथक 9: यह कप जैविक होते हैं
सिलिकॉन मासिक धर्म कप को ऑर्गेनिक कहना उचित नहीं हो सकता हैं क्योंकि कार्बनिक पदार्थ कार्बन द्वारा ही बनते हैं। इसलिए सिलिकॉन मेंस्ट्रुअल कप ऑर्गेनिक नहीं होते हैं।
मिथक 10: मासिक धर्म कप शरीर में भीतर जा सकता हैं
कप भीतर चला जाए इसकी कोई जगह नहीं हैं। गर्भाशय ग्रीवा में छोटा छेद होने से यह अंदर जा ही नहीं सकता हैं। इसे सरलता से आप नीचे भी कर सकते हैं।
मिथक 11: इस्तेमाल करना असुविधाजनक
पहली बार इस्तेमाल करने वाली महिलाओं को उचित मार्गदर्शन या जानकारी नहीं होने की वजह से यह असुविधाजनक लगता हैं लेकिन एक बार कप लगाने के बाद आपको यह महसूस भी नहीं होगा।
कन्क्लूज़न
यदि आपके मन में भी मेंस्ट्रुअल कप को लेकर संदेह था तो अब उसे भूल जाइये। इन मिथकों पर विश्वास ना करें और मासिक धर्म कप का इस्तेमाल कर अपने पीरियड्स को आसान बनाये।