एक महिला के शरीर में प्रेगनेंसी के दौरान कई तरीके के हार्मोनल बदलाव होते हैं। इन हार्मोनल चेंजेज के कारण महिला के शरीर में कई तरह की समस्या पैदा हो सकती हैं। थायराइड भी इन्हीं समस्याओं में से एक है। पुरुषों की तुलना में यह बीमारी महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है। यदि शुरू में इस बीमारी पर ध्यान नहीं दिया जाता है तो, आगे दूसरी गंभीर बीमारियों का यह कारण बन सकती है।
प्रेगनेंसी में थायराइड के लक्षण
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं में दो तरह के थायराइड की समस्या देखने को मिल सकती है। पहले हाइपोथाइरॉएडिज्म दूसरा हाइपरथाइरॉयडिज़्म। अगर प्रेगनेंसी में थायराइड के लक्षण की बात करें तो हाइपोथाइरॉएडिज्म की समस्या में वजन बढ़ाना, थकान होना, ठंड लगना, कब्ज, मांसपेशियों में ऐंठन जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं। वहीं हाइपरथायरायडिज्म में अधिक गर्मी लगना, थकान होना, मतली, उल्टी, हाथ कपकपना, वजन का कम होना और दिल की अनियमित धड़कन जैसे लक्षण हो सकते हैं।
प्रेगनेंसी में थायराइड हो तो क्या खाएं
गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए थायराइड हार्मोन बहुत जरूरी होता है। इस दौरान खानपान को लेकर भी लोगों के मन में काफी सवाल होते हैं तो आईए जानते हैं प्रेगनेंसी में थायराइड हो तो क्या खाएं।
आयोडीन के स्रोत
थायराइड ग्रंथि थायराइड हार्मोन बनाने के लिए आयोडीन का इस्तेमाल करती है। प्रेगनेंसी में आयोडीन की कमी ना हो। इसको दूर करने के लिए दूध से बने उत्पाद, मीट, सी-फूड, आयोडाइज्ड नमक का सेवन किया जा सकता है। शिशु के जन्म के बाद, शिशु को माँ के दूध से आयोडीन मिलता है। ऐसे में स्तनपान के दौरान महिला को ज्यादा आयोडीन की जरूरत होती है।
दाल का इस्तेमाल
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को सभी प्रकार के दाल को अपने आहार में शामिल करना चाहिए। दाल में प्रोटीन होता है जो शिशु के विकास में मदद करता है।
फल का इस्तेमाल
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को फल का भी इस्तेमाल करना चाहिए। महिलाएं अपने आहार में संतरा, मौसंबी, एवोकाडो और चकोतरा को शामिल कर सकती है। वहीं नाशपाती, स्ट्रॉबेरी, पपीता और आडू जैसे फलों का सेवन नहीं करना चाहिए।
सब्जी और दूध
हाइपोथाइरॉयडिज़्म में पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकली, पालक और शलजम को छोड़कर आप सभी सब्जियां खा सकती है। प्रेग्नेंट महिला के वजन बढने की समस्या को देखते हुए चिकित्सक डेरी प्रोडक्ट के इस्तेमाल की सलाह देते है।
अनाज का सेवन
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को बकव्हीट, क्यूनोआ और ओट्स का सेवन करना चाहिए। यह बेहतर विकल्प होते हैं। इसके साथ ही अपने आहार में गेहूं और उससे बनी चीजों को भी शामिल करना चाहिए। इस दौरान चावल का सेवन कम या नहीं करना चाहिए।
क्या थायराइड में प्रेगनेंसी नहीं होती
थायराइड की समस्या महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर असर डालती है। महिलाओं के मन में अक्सर सवाल आता है कि क्या थायराइड की समस्या होने के बावजूद वे मां बन सकती हैं। थायराइड में गर्भधारण (कंसीव) करना संभव है। प्रेगनेंसी के दौरान थायराइड का स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण असर होता है क्योंकि इसका सीधा प्रभाव न सिर्फ प्रेग्नेंट महिला पर होता है, बल्कि उसके पेट में पल रहे शिशु को भी यह प्रभावित कर सकता है।
महिलाओं के मन में यह भी सवाल आता है कि प्रेगनेंसी में थायराइड कितना होना चाहिए। एक रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि प्रेगनेंसी के पहले 3 महीने में आपके शरीर में थायराइड का लेवल 0.1 से 2.5 (मिली इंटरनेशनल यूनिट प्रति लीटर) के बीच होना चाहिए। अगर प्रेगनेंसी के समय आपको थायराइड की समस्या है तो, समय-समय पर डॉक्टर से मिलकर इसकी जांच जरूर करानी चाहिए।
थायराइड ग्रंथि थायरॉक्स जैसे हार्मोन का निर्माण करती है। यह भ्रूण के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान थायराइड काफी महत्वपूर्ण होता है और इससे जूझ रही महिलाओं को नियमित थायराइड की जांच करवानी चाहिए।
प्रेगनेंसी में थायराइड के नुकसान
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को कई कई तरह की समस्या होती है। प्रेगनेंसी में थायराइड का बढ़ना बिल्कुल भी अच्छा नहीं माना जाता है। प्रेग्नेंट महिलाओं को थायराइड की नियमित जांच करानी चाहिए।
- थायराइड की अधिक मात्रा प्रेग्नेंट महिला और उसके बच्चे के सेहत के लिए भी खराब मानी जाती है हाइपोथायरायडिज्म के कुछ मामलों में महिला को उल्टी या फिर जी मचलना जैसे दिक्कत हो सकती है।
- प्रेगनेंसी में थायराइड की समस्या मां और शिशु दोनों के लिए घातक साबित हो सकती है कई मामलों में यह गर्भपात का भी कारण बन जाता है।
- थायराइड के कारण बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर भी काफी प्रभाव पड़ता है। ऐसे में बच्चा और असामान्य भी हो सकता है।
- थायराइड से ग्रसित प्रेग्नेंट महिला के बच्चे या नवजात को नियोनेटल हाइपोथायरॉयड की समस्या भी हो सकती है।
निष्कर्ष
प्रेगनेंसी में थायराइड को नियंत्रित रखने के लिए महिला को अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके साथ ही नियमित योग और व्यायाम करके थायराइड को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है। प्रेगनेंसी के दौरान थायराइड लेवल को कंट्रोल रखने के लिए आप तनाव लेने से बचे। इसके साथ ही शुगर युक्त चीजों का ज्यादा सेवन न करें, जंक फूड का सेवन न करे और समय-समय पर चिकित्सकीय परामर्श लेते रहे।