Bodybuilding 1 MIN READ 83965 VIEWS November 16, 2016

व्हे प्रोटीन क्या है और यह कैसे बनता है?

व्हे प्रोटीन क्या है और यह कैसे बनता है?

बॉडीबिल्डिंग एथुंज़ियास्ट्स बहुत सारे व्हे प्रोटीन की कसमें खाते हैं, लेकिन क्या वे वास्तव में जानते हैं कि व्हे प्रोटीन आखिर होता क्या है और यह कैसे बनता है? चलिए व्हे प्रोटीन के बारे में कुछ सच्चाई जानते हैं.

हर बार जब बॉडीबिल्डिंग सप्लिमेंट पर चर्चा होती है तब व्हे प्रोटीन का नाम हर किसी के ज़हन में आता है। निश्चित रूप से आपकी डाइट के साथ व्हे प्रोटीन लेना मसल्स विकसित करने के लिए अच्छा है, लेकिन केवल व्हे प्रोटीन कोई चमत्कार नहीं कर सकता और बेहतरीन परिणाम के लिए आपको सघन व्यायाम को अपनी दिनचर्या में जोड़ना होगा।

व्हे प्रोटीन के बारे में कई प्रोटीन निर्माताओं द्वारा चलाए जा रहे छद्म विज्ञापनों की वजह से काफी उलझनें हैं जिससे व्हे प्रोटीन को समझना थोड़ा मुश्किल हो गया है।

इस लेख के माध्यम से हम आपकी सारी उलझनों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं और एक बार ऐसा हुआ तो इस प्रसिद्ध बॉडीबिल्डिंग सप्लिमेंट के बारे में फैली सभी भ्रांतियां दूर हो जाएगीं। एक बार जब आप इस लेख को पढ़ लेंगे तो कम से कम आप इन प्रश्नों जैसे- व्हे प्रोटीन क्या होता है? यह कैसे बनता है? आयन फिल्ट्रेशन क्या है? का उत्तर दें पाएंगे।

व्हे प्रोटीन एक उच्चकोटी का प्रोटीन होता है जो प्राकृतिक दूध और दुग्ध उत्पादों में पाया जाता है। इसे प्राय: ‘संपूर्ण प्रोटीन’ माना जाता है क्योंकि इसमें सभी जरूरी एमीनो एसिड्स हैं जो की मनुष्य के शरीर के लिए आवश्यक है और यह पाचन में भी आसान है। व्हे प्रोटीन को ब्रांच्ड एमीनो एसिड्स (बीसीएए’ज़) जैसे ल्युसिन, जो मसल्स सिंथेसिस को उत्प्रेरित करता है, का सबसे उत्तम श्रोत माना जाता है।

बहुत सारे अध्ययनो ने दिखाया है कि व्हे प्रोटीन की थोड़ी मात्रा भी आपके शरीर के लिए फायदेमंद होती है। व्यायाम के तुरंत बाद केवल 10 ग्राम व्हे प्रोटीन का सेवन मसल्स पुनर्निर्माण को उत्प्रेरित कर सकता है।

बॉडीबिल्डर्स और एथलीट्स के लिए स्टेपल सप्लिमेंट होने के अलावा व्हे प्रोटीन इम्युनिटी बिल्डिंग पर अपने सकारात्मक प्रभाव और अपने एंटी-एजिंग गुणो की वजह से काफी तारीफ पा रहा है।

बहुत सारे अध्ययनो में पाया गया है कि व्हे प्रोटीन कैंसर रेट को कम करने, प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने, एचआईवी से लड़ने, कॉर्टीसॉल को कम करने, स्ट्रेस घटाने, लाईव फंकशन को विकसित करने, दिमाग में सिरॉटॉनिन के स्तर को बढ़ाने, रक्तचाप को कम करने और बहुत सारे औषधीय गुणों और खेल से संबंधित स्वाथ्य्य लाभ देने में सामर्थ्य है।

इसके अलावा इसमें उच्च बीसीएए तत्व पाया जाता है, व्हे प्रोटीन मानव शरीर में ग्लुटैथियोन (जीएसएच) स्तर बढ़ाने के लिए जाना जाता है। इम्यून सिस्टम को दुरूस्त करने के लिए जीएसएच के महत्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह शरीर में पाया जाना वाले एक जरूरी पानी में घुलनशील एंटीऑक्सिडेंट हैं।

क्योंकि जीएसएच इम्युनिटी के लिए जरूरी, व्हे प्रोटीन आसानी से किसी के न्युट्रीशन प्रोग्राम में जगह बना सकता है। बॉडीबिल्डर्स और एथलीट्स के संदर्भ में यह बार-बार साबित हुआ है कि व्हे प्रोटीन प्रदर्शन और मसल मास पर सीधा प्रभाव डालता है। कुछ अध्ययन यह भी बताते हैं कि व्हे प्रोटीन से मिलने वाले जीएसएच का उच्च स्तर ट्रेनिंग को लंबे समय तक करने में मदद करता है।

व्हे प्रोटीन प्राकृतिक रूप से गाय के दूध में पाया जाता है इसलिए लगभग सभी व्हे प्रोटीन का श्रोत दुग्ध फॉर्म ही है। दिन में दो या तीन बार गायों को विशेष मिल्किंग पॉर्लर में लाया जाता है जहां उनसे दूध निकाला जाता है। फिर निकाले गएं दूध को दुग्ध फॉर्म से मैन्युफैक्चरिंग और प्रोसेस केंद्र में लाया जाता है जहां इसे बड़े टैंको में रखा जाता है जो 50,000 गैलन्स तक दूध जमा कर सकते है।

प्रोसेस क्रेंद्र में एक बार जब दूध पहुंच जाता है तब इसे पूरी तरह से जांचा जाता है ताकि ये पीने के लिए सुरक्षित हो। गाय के दूध में दो सबसे महत्वपूर्ण प्रोटीन पाये जाते हैं, एक कैसीन प्रोटीन है जो दूध में 80 प्रतिशत तक पाया जाता है। बचे गए 20 प्रतिशत में व्हे प्रोटीन पाया जाता हैं।

कच्चा दूध कई घटको से बना होता है। कुछ पार्ट्स ससपेंशन में मौजूद होते हैं तो कुछ घोल में। व्हे प्रोटीन का उत्पादन चीज़ बनाने की प्रक्रिया के दौरान होता है जिसकी शुरूआत कच्चे दूध में कुछ एंज़ाइम्स के मिलाने के बाद होती है। एंज़ाइम्स दूध में कई घटको को अलग कर देता है उनमें से ही एक दही का रूप धारण कर लेता है। इस वक्त जो दही बनी है इसी का उपयोग चीज़ बनाने में किया जाता है और चीज़ बनाने की प्रक्रिया के दौरान ही व्हे प्रोटीन तरल पदार्थ के रूप में निकलता है।

इसके बाद तरल पदार्थ के रूप में यह व्हे प्रोटीन पाश्च्युराइज करके और सुखा कर पॉऊडर के रूप में बनाया जाता है जिसका प्रयोग सेवन करने के लिए किया जाता है। व्हे प्रोटीन बनाने के लिए प्रमुख प्रकिया इस हैं:

माइक्रोफिल्ट्रेशन: फाइन स्पेशलिटी फिल्टर को हम माइक्रो-फिल्टर्स या अल्ट्रा-फिल्टर्स कहते हैं, क्योंकि इनमें माइक्रोस्कोपिक पोर्स होते हैं जिसका उपयोग प्रोटीन को स्ट्रेन करने में किया जाता है। प्रोटीन से कंटेंट्स को निकालने को फिज़िकल मींस भी कहा जाता है।

आयन एक्सचेंज: इस विधि में प्रोटीन को आयन एक्सचेंज टॉवर में रखा जाता है जिसे एक रसायनिक शुद्धीकरण प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इस प्रक्रिया में हाईड्रोक्लोरिक एसिड और सोडियम हाईड्रॉक्साइड दो रसायणों का उपयोग होता है। फिर भी यह प्रक्रिया माइक्रोफिल्ट्रेशन की तुलना में काफी किफायती है, लेकिन इसमें व्हे प्रोटीन के कुछ एमिनो एसिड्स नष्ट हो जाते हैं। एक बार प्रोटीन कॉंन्संट्रेट हो जाता है तो फिर इसे ड्राईंग टॉवर में पानी को निकालने के लिए रखा जाता है। फिर अंतिम प्रक्रिया में प्रोटीन को लेकर अलग अलग आकार के कंटेनर्स में पैक किया जाता है।

व्हे प्रोटीन को नीचे दिए गए तीन प्रकारो में बांट सकते हैं-

व्हे प्रोटीन कॉंन्संट्रेट: यह सबसे सामान्य उपलब्ध रहने वाला व्हे प्रोटीन पॉऊडर सप्लिमेंट है क्योंकि ज्यादातर निर्माता व्हे प्रोटीन कॉंन्संट्रेट का इस्तेमाल प्रथम तत्व के रूप में प्रोटीन पॉऊडर बनाने के लिए करते है। व्हे प्रोटीन कॉंन्संट्रेट में प्रोटीन की मात्रा कम से कम 25 प्रतिशत और अधिक से अधिक 89 प्रतिशत तक होती है। ज्यादतर स्पोर्ट न्युट्रिशन में लगभग 80 प्रतिशत व्हे प्रोटीन रहता है जिसे एब्रिविएटेड रूप में डब्ल्यूपीसी या डब्ल्यूपीसी80 कहा जाता है, जबकि बचे गए 4 से 8 प्रतिशत में लैक्टोज़, खनिज फैट और मॉइश्चर होते हैं।

व्हे प्रोटीन आईसोलेट: सामान्यतौर पर एब्रिविएटेड रूप में इसे डब्ल्यूपीआई या डब्ल्यूपीआई कहते हैं, व्हे प्रोटीन आईसोलेट व्हे प्रोटीन का शुद्धतम् रूप है जिसमें 90 से 95 प्रतिशत प्रोटीन मौजूद रहता है। यह उन लोगों के लिए एक बेहतरीन प्रोटीन श्रोत है जो लैक्टोज़ इंटोलरैंट है क्योंकि इसमें बहुत कम या फिर लैक्टोज़ होते ही नहीं हैं और फैट भी बहुत कम होते हैं। व्हे प्रोटीन आईसोलेट की कीमत व्हे प्रोटीन कंसंट्रेट की तुलना में बहुत अधिक होती है क्योंकि इसमें प्रोटीन का शुद्धतम रूप मौजूद होता है।

व्हे प्रोटीन हाईड्रॉलाइसेट: डब्ल्यूपीएच या व्हे प्रोटीन हाईड्रॉलाइसेट को तब बनाया जाता है जब लार्ज प्रोटीन पॉलीपेपिटाईड जो व्हे प्रोटीन में पाया जाता है, बहुत छोटे-छोटे श्रृंख्ला में टूटे होते है। यह व्हे प्रोटीन को पाचन के लिए आसान बना देता है और यह आंत में तेज़ी से एबज़ॉर्ब होता है। इस प्रकार किसी प्रकार की एलर्जी प्रतिक्रिया का खतरा कम हो जाता है। प्रोटीन का यह रूप सबसे महंगा होता है और यह एसिड स्वाद के साथ तीख़ा भी होता है। इसे घुलनसील होता है जिसे पानी या दूसरे पेय पदार्थ के साथ घोल कर पीया जाता है। इस तरह के प्रोटीन का इस्तेमाल बेबी फॉर्मूले या दूसरे विशेष औषधीय पौष्टिक उत्पाद के लिए किया जाता है।

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