Hindi 1 MIN READ 1568 VIEWS January 13, 2023 Read in English

त्रिफला के लाभ पर एक नज़र

Written By HealthKart
Medically Reviewed By Dr. Aarti Nehra

आयुर्वेद दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणालियों में से एक होती है। जड़ी-बूटियों के माध्यम से इलाज की कला और विज्ञान का जन्म भारत में लगभग 3000 साल पहले हुआ था। त्रिफला एक ऐसी हर्बल औषधि होती है जिसका उपयोग प्राचीन आयुर्वेदिक काल से ही बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। यह एक पॉलीहर्बल औषधि होती है जिसका अर्थ है कि इसमें कई औषधीय जड़ी-बूटियाँ होती हैं। त्रिफला के लाभ बहुत अच्छे होते है।

त्रिफला किससे बनता है?

संस्कृत में इसके नाम का अर्थ है ‘त्रि + फल’ जिसका अर्थ है तीन फल। त्रिफला तीन औषधीय फलों का मिश्रण होता है, अर्थात्:

●  टर्मिनेलिया चैबुला (हरितकी)

● टर्मिनलिया बेलरिका ((बहेडा)

● फिलांथस एम्ब्लिका (आंवला या आमला)

आम बोलचाल की भाषा में इन्हें हरड़, बहेड़ा और आंवला के नाम से भी जाना जाता है।

माना जाता है कि पॉलीहर्बल सूत्रीकरण कई गुना प्रभाव पैदा करता है जिससे यह अधिक रोग निवारण और स्वास्थ्य संवर्धन में मदद करता है।

1. टर्मिनेलिया चेबुला (हरितकी) या हरड़

हरीतकी (हरड़), टर्मिनेलिया चेबुला के पेड़ का एक फल होता हैं जो त्रिफला के महत्वपूर्ण घटकों में से एक है। इसके असंख्य स्वास्थ्य लाभ होते हैं जिसके कारण इसे ‘दवाओं का राजा’ भी कहा जाता है।

टर्मिनेलिया चेबुला एक पेड़ होता है जो भारत, चीन और थाईलैंड का मूल निवासी वृक्ष होता हैं। इसका फल हरीतकी, छोटा, अंडाकार और हरे रंग का होता है। इसमें मिनरल, पौधों के यौगिक और फाइटोकेमिकल्स एक अनोखी संरचना में होते हैं इसलिए इसके कई चिकित्सीय लाभ होते है।

2. टर्मिनेलिया बेलरिका (बास्टर्ड मायरोबलन) या बहेड़ा

टर्मिनेलिया बेलरिका दक्षिण पूर्व एशिया का मूल वृक्ष है। इसके फल को आमतौर पर प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा में बहेड़ा या बिभीतकी के रूप में जाना जाता है, इसमें कई शक्तिशाली पौधों के यौगिक होते हैं। इसके अलावा, इसमें उच्च मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।

बहेड़ा का फल आमतौर पर ड्रूप जैसा, धूसर रंग का और अंडाकार आकार का होता है। छोटे आकार के फल के भीतर एक सख्त बीज होता है। बहेड़ा के फलों का स्वाद कड़वा, खट्टा होता है जिन्हे आमतौर पर सूखे रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

3.फिलांथस एम्ब्लिका (भारतीय करौदा) या आंवला

भारतीय करौदा, या आंवला, के नाम से यह आमतौर पर भारत में जाना जाता है, जो सबसे पुराने खाद्य फलों में से एक होता है। यह छोटा और मध्यम आकार का फल होता हैं जो स्वाद में तेज और खट्टा होता है इसमें बहुत सारे फाइबर होते हैं। आंवला में उच्च मात्रा में विटामिन C होता है। इनमे मिनरल, अमीनो एसिड और पौधों के यौगिक होते है। यह आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

त्रिफला के लाभ

आयुर्वेदिक चिकित्सा में त्रिफला को त्रिदोष रसायन के रूप में वर्णित किया गया है। इसका मतलब यह है कि त्रिफला में तीन दोषों को ठीक करने की क्षमता होती है जो मानव स्वास्थ्य को नियंत्रित करते हैं जैसे – वात, पित्त और कफ। त्रिफला लाभों में शामिल हैं:

1. संक्रमण से लड़ता है

त्रिफला का एक महत्वपूर्ण घटक बहेड़ा होता हैं जो रोगाणुरोधी गुणों के लिए जाना जाता है। इसके अलावा, त्रिफला संक्रमण के विकास को भी रोकता है और शरीर को मानव इम्यूनोडिफीसिअन्सी वायरस (एचआईवी), ई. कोलाई और एस ऑरियस जैसे जीवाणु और फंगल संक्रमण से भी बचाता है।

2. दंत स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है

त्रिफला उन रसायनों के स्तर को निष्क्रिय कर देता है जो मसूड़े की बीमारी पीरियंडोंटाइटिस के खतरे को बढ़ाते हैं। जब इसका उपयोग गरारे करने के मिश्रण के रूप में किया जाता है, तो त्रिफला संक्रमण, दंत क्षय और प्लाक को साफ करने में मदद करता है। त्रिफला माउथवॉश प्लाक को हटाने में मदद करता है और मुंह के हानिकारक बैक्टीरिया के विकास को रोकता है।

3. सूजन-रोधी गुण

त्रिफला एंटीऑक्सिडेंट और पौधों के यौगिकों जैसे फ्लेवोनोइड्स, पॉलीफेनोल्स, टैनिन आदि से भरा होता है। इन यौगिकों में एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण होते हैं जो ऊतक में सूजन को रोकते हैं। हालांकि सूजन एक सामान्य प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया होती है, लेकिन पुरानी सूजन, हृदय रोग, कुछ कैंसर रोग और समय से पहले उम्र बढ़ने में योगदान करती है।

4. शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट

त्रिफला स्वास्थ्य लाभों को विटामिन C और अन्य एंटीऑक्सीडेंट की उच्च सांद्रता से जोड़ा जाता है।इसमें एंटीऑक्सिडेंट यौगिक होते हैं जो मुक्त कणों के ऑक्सीडेटिव तनाव को भी कम करते हैं। चूंकि एंटीऑक्सिडेंट इन मुक्त कणों को बेअसर करके शरीर को गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं से बचाते हैं। त्रिफला को रोजाना दिनमें एक बार लेने से शरीर में एंटीऑक्सीडेंट के स्तर को बढ़ाने में मदद मिलती है।

5. कैंसर से बचाव में मदद कर सकता है

त्रिफला में कैंसर कोशिकाओं को मारने की क्षमता होती है। त्रिफला जड़ी बूटियों में मौजूद गैलिक एसिड की उच्च मात्रा कैंसर के विकास को रोकने में मदद करती है। त्रिफला के एंटीऑक्सीडेंट गुण ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद करते हैं जो कैंसर का एक प्रमुख कारण होता है। इस औषधि के परीक्षणों से पता चला है कि त्रिफला का उपयोग स्तन और प्रोस्टेट कैंसर कोशिकाओं के प्रसार को कम करने में प्रभावी होता हैं।

6. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है

प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय होकर शरीर को बाहरी हानिकारक आक्रमणकारियों से बचाती है। इस प्रकार, एक सक्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी होती है। त्रिफला आयुर्वेदिक दवा की संरचना में प्राकृतिक जड़ी बूटियों का एक आदर्श मिश्रण होता है जिसके कई चिकित्सीय लाभ होते हैं।ये संक्रमण और शरीर के विषाक्त पदार्थों को खत्म करके प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए मिलकर काम करते हैं।

7. मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करता है

अग्न्याशय द्वारा स्रावित इंसुलिन रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।क्योकि मधुमेह की शुरुआत इंसुलिन के उत्पादन को प्रभावित करती है। त्रिफला में मौजूद जड़ी-बूटियां अग्न्याशय को उत्तेजित करती हैं। यह इंसुलिन स्राव को बढाती है, जिससे प्रभावी रूप से रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता हैं। यह शरीर की कोशिकाओं को इंसुलिन प्रतिरोधी बनाने में मदद करता है, जो रोगो को नियंत्रित करता है।

8. पाचन में सहायक

अच्छे स्वास्थ्य के लिए एक मजबूत पाचन तंत्र सबसे अच्छा होता है। त्रिफला जड़ी बूटियों का एक सही मिश्रण प्रदान करता है जो पाचन तंत्र को सक्रिय और मजबूत बनाने की लिए मिलकर काम करते हैं। हरड़ पाचन तरल पदार्थ के स्राव के लिए जिम्मेदार होता है जो भोजन को तोड़ने में मदद करता है। यह सूजन और पेट की ऐंठन को भी कम करके पेट की गैस को दूर करने में मदद करता है।

बहेड़ा भोजन को तोड़ने में मदद करता हैं। और यह सुनिश्चित करता है कि आवश्यक पोषक तत्व ठीक से अवशोषित हो गए हैं। आंवला विटामिन C का समृद्ध स्रोत होता है। यह यकृत के कार्यों को बनाए रखने में मदद करता है और पेट के अल्सर के खतरे को कम करके विषाक्त अपशिष्ट को खत्म करने में मदद करता है। त्रिफला की जड़ी-बूटियाँ प्राकृतिक रेचक दवा होती हैं, जो कब्ज के खतरे को कम करती हैं।

9. रक्तदाब को नियंत्रित करता है

धमनियों में प्लाक के निर्माण के कारण रक्तदाब में असामान्यताएं होने लगती हैं। जो दिल के दौरे के खतरे को बढ़ाता है और अन्य अंगों को भी नुकसान पहुंचाता है। त्रिफला आयुर्वेदिक औषधि का रोजाना सेवन करने से धमनियों से प्लाक को हटाने में मदद मिलती है। यह रक्तदाब को बनाए रखने में भी मदद करता है। त्रिफला में पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करते हैं और रक्त वाहिकाओं पर तनाव को कम करके रक्त प्रवाह को सुचारू रूप से सुनिश्चित करता है।

10. गठिया और गाउट के दर्द से राहत दिलाता है

गठिया जोड़ों की एक दर्दनाक सूजन होती है। सूजन के बढ़ने से समस्या और भी बढ़ जाती है। त्रिफला जड़ी बूटियों में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन को कम करते हैं। पाचन विषाक्त पदार्थों और विषाक्त अपशिष्ट को खत्म करके यूरिक एसिड को कम करने में मदद करता है। इसलिए इससे गठिया और गठिया के दर्द में काफी आराम मिलता है।

11. बालों के विकास को उत्तेजित करता है

त्रिफला के तीन समूह – आंवला, हरड़ और बहेड़ा को बालों की सभी समस्याओं को दूर करने के लिए जाना जाता है। सिर की त्वचा के संक्रमण से निपटने के लिए इनके पास रोगाणुरोधी गुण होते हैं। इनके एंटीऑक्सीडेंट गुण सिर की त्वचा के उच्च पीएच स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं। त्रिफला में मौजूद विटामिन C बालों की जड़ों को फायदा पहुंचाकर उन्हें सुंदरता, मज़बूती और चमक देता है। त्रिफला बालों के प्राकृतिक रंग को बनाए रखने में भी मदद करता है, और समय से पहले बालो को सफेद होने से रोकता है। त्रिफला आयुर्वेदिक औषधि से दो मुंहे के बालों को भी ठीक किया जा सकता है।

12. त्वचा की अच्छी देखभाल

त्वचा की समस्याओं को बढ़ाने के लिए त्वचा के छिद्रों का बंद होना और पीएच का असंतुलन प्राथमिक कारण होता हैं। इससे मुंहासे निकलना, झुर्रियां, महीन रेखाएं और त्वचा अत्यधिक रूखी या तैलीय हो जाती है। त्रिफला के उच्च एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर रखने में मदद करते हैं। जिससे त्वचा फिर से जवान और ताज़ा महसूस होती है।

13. तनाव और चिंता को कम करता है

तनाव और चिंता हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का एक हिस्सा होता हैं। लेकिन पुराना तनाव और चिंता का उच्च स्तर शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंचाता है। अनुसंधान से पता चलता है कि त्रिफला चूर्ण का नियमित सेवन करने से शरीर के तनाव हार्मोन कॉर्टिकोस्टेरोन के स्तर को कम किया जा सकता है। त्रिफला की जड़ी बूटियों में क्रोध और चिंता के लक्षणों को कम करके व्यवहार को शांत प्रभाव में बदलने के गुण होते हैं।

14. शक्तिशाली एंटी-एजिंग गुण

त्रिफला जड़ी बूटियों में मजबूत एंटी-एजिंग गुण भी होते हैं। त्रिफला का नियमित सेवन करने से कोलेजन और इलास्टिन सिंथेसाइजिंग जीन को उत्तेजित करने में मदद करता है। कोलेजन और इलास्टिन दो प्रकार के प्रोटीन होते हैं जो त्वचा और संयोजी ऊतकों में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। एंटीऑक्सिडेंट गुण ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करके समय से पहले त्वचा को बचाती है। इसके अलावा, सुरक्षात्मक फाइटोकेमिकल्स की उपस्थिति मेलेनिन संश्लेषण को दबा देती है, जिससे हाइपरपिग्मेंटेशन की संभावना कम हो जाती है।

जोखिम और सावधानियां

त्रिफला में तीन जड़ी बूटियों का मिश्रण होता है – आंवला, हरड़ और बहेड़ा। विभिन्न सामग्रियों का एक साथ काम करने से ड्रग इंटरेक्शन का खतरा अधिक होता है। निम्नलिखित मामलों में त्रिफला के उपयोग की सिफारिश नहीं की जाती है:

● गर्भवती महिलाएं

● स्तनपान कराने वाली माताएं

● खून पतला करने वाली दवाईयों का सेवन करने वाले लोगो को 

● जो लोग रक्तदाब की दवा ले रहे हैं

● तीव्र खांसी वाले लोग

● दस्त से पीड़ित लोग

कन्क्लूज़न

त्रिफला को प्राचीन चिकित्सा में एक पवित्र प्याले के रूप में वर्णित किया गया है। इसमें तीन चमत्कारी जड़ी बूटियों – आंवला, हरड़ और बहेड़ा का मिश्रण होता हैं जिससे त्रिफला में उच्च प्रभावशीलता और प्रभावकारिता होती है। उच्च मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट और पौधों के यौगिक होते हैं जिसके कारण त्रिफला शरीर के प्रत्येक  हिस्से को लाभ पहुंचाता है। सबसे अच्छे त्रिफला स्वास्थ्य लाभ निम्न होते हैं जैसे प्रतिरक्षा में वृद्धि, पाचन और वजन घटाने में सहायता, हृदय और आंखों के स्वास्थ्य में सुधार और त्वचा और बालों के स्वास्थ्य के लिए एक जीवनरक्षक होता है।

त्रिफला आयुर्वेदिक दवा को व्यापक रूप से एक तनाव-मुक्त टॉनिक के रूप में उपयोग किया जाता है। त्रिफला के स्वास्थ्य लाभ होने के बावजूद भी इस मिश्रण के अत्यधिक सेवन से दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। इसलिए, त्रिफला को कम मात्रा में और अपने चिकित्सक से परामर्श के बाद ही लेना सबसे अच्छा होता है।

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