

फाइलेरिया एक खतरनाक बीमारी है। जो मच्छर के काटने से शरीर को धीरे-धीरे खराब करती है फाइलेरिया अक्सर कम उम्र के बच्चों में देखने को मिलता है। यह बीमारी एक परजीवी यानि छोटे कीड़े (फाइलेरियल वर्म) के संक्रमण के कारण होती है। इस बीमारी को हाथी पांव भी कहा जाता है। फाइलेरिया के लक्षण कई वर्षों में विकसित होते हैं जिस कारण व्यक्ति विकलांग भी हो सकता है। इस बीमारी में व्यक्ति के शरीर के साथ मानसिक दशा पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
फाइलेरिया के कारण
फाइलेरिया एक संक्रामक रोग है जो निमेटोड परजीवी के कारण होता है। यह बीमारी फाइलेरिया वॉर्म से संक्रमित मच्छरों के काटने की वजह से फैलती/पनपती है। यह हमारे लसीका तंत्र पर सीधा असर करता है। लसीका तंत्र हमारे शरीर में द्रव पदार्थ के स्तर को संतुलित करने का काम करता है। इसके साथ ही आपके शरीर को संक्रमण से बचाने में भी मदद करता है। परजीवी के काटने से यह असंतुलित हो जाता है जिस कारण शरीर में सूजन होने लगती है। यह परजीवी पतले, गोल, कृमि जैसे जीव होते हैं। इन्हें माइक्रोस्कोप से देखने पर यह सफेद या पारभासी की तरह दिखाई देते हैं।
फाइलेरिया के लक्षण
फाइलेरिया के लक्षण की बात करें तो, फाइलेरिया से पीड़ित हर तीन व्यक्ति में से दो लोगों को गंभीर लक्षण देखने को मिलते हैं। इस बीमारी का सबसे पहले हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता पर प्रभाव पड़ता है जिस वजह से शरीर में गंभीर बदलाव देखने को मिलते हैं। फाइलेरिया के सामान्य लक्षण में पैरों में व्यापक रूप से सूजन, लसीका तंत्र में तरल पदार्थ का निर्माण, अंडकोष में सूजन, पैरों, बाहों, स्तनों और योनि में सूजन के साथ तरल पदार्थ का निर्माण, बुखार और सिर दर्द शामिल हैं।
फाइलेरिया के लक्षण और उपाय दोनों अलग-अलग होते हैं। फाइलेरिया के शुरुआती चरण में सामान्य लक्षण, जिसमें बुखार, सिर दर्द, ठंड लगना और त्वचा पर घाव, तीन से नौ महीने के बीच में देखने को मिलते हैं।
वहीं फाइलेरिया के बाद के स्टेज के लक्षणों में लसीका तंत्र में रुकावट के कारण होने वाली सूजन, हाथ पैर में सूजन के साथ लालिमा और दर्द शामिल हैं, इसके साथ ही कोशिकाओं में मवाद जमा होना।
इसके साथ ही त्वचा पर चकत्ते बनना, पेट में दर्द होना, रेटिना और ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंचने से अंतर्दृष्टि की हानि होना, चेहरे, हाथ–पैर , शरीर और अन्य हिस्सों पर हाइपर पिगमेंट त्वचा शामिल हैं। इन लक्षणों की अनदेखी की जाए तो बीमारी अपने अंतिम चरण में पहुंचती है जिसमें हाथ पैर और जननांगों में भारी वृद्धि हो सकती है जिसे एलिफेंटाइसिस कहते हैं।
फाइलेरिया कैसे फैलता है
फाइलेरिया का प्राथमिक वाहक मच्छर है। इसका संक्रमण व्यक्ति में तब फैलता है जब मच्छर पहले से संक्रमित व्यक्ति को काटता है और उसके बाद एक स्वस्थ व्यक्ति को काट लेता है। मच्छर के काटने से परजीवी का लार्वा दूसरे स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है और अपने आप को मल्टीप्लाई करने लगता है। फाइलेरिया का जीवनकाल लगभग 5 वर्ष से 7 वर्ष का होता है। इस दौरान वह लाखों लार्वा पैदा करते हैं। रात के समय में लार्वा अपने आप को कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है। इस बीमारी की शुरुआत बचपन में हो सकती है, लेकिन यह बीमारी कई वर्षों बाद पता चलती है।
फाइलेरिया के उपाय
फाइलेरिया का इलाज तो संभव है, लेकिन इसके लिए अभी तक कोई टीका नहीं बन पाया है।
- फाइलेरिया से बचने के लिए सबसे पहले आपको मच्छरों से बचना होगा। ऐसे में मच्छरदानी का प्रयोग करें।
- घर के अगल-बगल पानी बिल्कुल भी इकट्ठा न होने दे।
- ज्यादा से ज्यादा साफ सफाई रखें ताकि आसपास मच्छर और कीड़े मकोड़े इकट्ठा ना हो ।
- समय-समय पर पेस्ट कंट्रोल करवाएं।
- शाम के समय नीम की पत्ती जलाएं और फुल स्लीव कपड़े पहने।
फाइलेरिया के उपचार
अभी तक फाइलेरिया के इलाज के लिए कोई भी टीका उपलब्ध नहीं है। वैज्ञानिक अभी भी इसके इलाज के लिए टीका विकसित करने पर काम कर रहे हैं। इसके इलाज से बेहतर रोकथाम है। भारत सरकार ने इस बीमारी से बचाव के लिए फाइलेरिया उन्मूलन नामक कार्यक्रम भी चलाया है, जिसके तहत सार्वजनिक दवा सेवन किया जाता है। इसमें एक एक खुराक साल में एक बार लोगों को दी जाती है। साल में एक खुराक का सेवन करके इसके संक्रमण के प्रसार को प्रभावित तरीके से खत्म किया जा सकता है। फाइलेरिया से बचाव ही इसका इलाज है।
फाइलेरिया का निदान
फाइलेरिया बीमारी का निदान काफी मुश्किल है क्योंकि इसके लक्षण एक प्रकार से दूसरे प्रकार में अलग-अलग होते हैं। प्रारंभिक चरण में निदान के लिए लक्षण बैक्टीरियल संक्रमण के समान होते हैं हालांकि ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट आदि के माध्यम से हम इसका इलाज शुरू कर सकते हैं।
निष्कर्ष
फाइलेरिया एक संक्रामक बीमारी है जो निमेटोड परिवार से संबंधित है। इसमें अक्सर संक्रमित व्यक्ति के पांव में सूजन देखने को मिलता है। जिसे हम हाथी पांव के नाम से भी जानते हैं। फाइलेरिया के सामान्य लक्षण में सिर-दर्द, बुखार, ठंड लगना और त्वचा पर घाव होना शामिल है।